ऊब कहीं बाहर से नहीं, तुम स्वयं से ही ऊबे हुए हो || आचार्य प्रशांत (2014)

2019-11-28 1

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१६ जुलाई २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
कोई भी काम मुझे उबाऊ क्यों लगता है?
मेरे अन्दर उत्साह और उमंग क्यों नहीं?
जीवन को नीरस से कैसे बाहर लाये?
ऊब कहीं बाहर से नहीं, तुम स्वयं से ही ऊबे हुए हो

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